मकर-संक्रांति, उत्तरायण व मगरविल्लकू (केरल) के पावन पर्व पर अनुपमा जी की यह पंक्तियाँ अति सुन्दर लगीं!
आप सभी तो इस लोक पर्व की बहुत शुभकामनायें ..
आज संध्या से पहले एक सुखद परिवर्तन हो !!
by Anupama Pathak on Saturday, 24 July 2010 at 14:28
ज्ञान चक्षु से दृश्य का अवलोकन हो !
आशा का दीपक जलता रहे ...
यही ह्रदय के भावों का प्रयोजन हो !!
ये विस्मरण का दौर है ...
हम भूल रहे है अपनी संस्कृतियों को ....
नवीनता के साथ साथ
गौरवपूर्ण पुरातन मूल्यों का भी संवर्धन हो !!
आने वाली सन्ततियाँ इस युग को भी नमन करे
इस युग के हम कर्णधारों द्वारा
ऐसा भी कुछ समायोजन हो !!
जीवन भर लगी रहेगी
दिवा-रात्रि की निरंतर आवाजाही ..
तन्द्रा भंग हो
कुछ लोग तो जागें
आज संध्या से पहले एक सुखद परिवर्तन हो !!
ज्ञान चक्षु से दृश्य का अवलोकन हो !
आशा का दीपक जलता रहे
यही ह्रदय के भावों का प्रयोजन हो !!
10:00 am,stockholm
anupama
Final steps at Sabri Mala shrine..
swami Ayyappa vigraham ..