Friday 26 July 2019

मन



ज़िन्दगी इक रोज़नामचा ही रही !
कुछ आज नकद,
जो, बचा – सो कल उधार.

साँसें गिनीं, जो कम पड़ीं !
वो जैसे चले घड़ी,
फिर, निगाह – ऊपर उठी.

हिसाब चलता रहा,
मेहरबानी उसकी ही सही
ज़िन्दगी इक .. ..