पानी मे पत्थर - श्री नवीन मिश्र जी
पानी मे पत्थर
तैराने की आस मेँ
उनपर लिख दिया
राम राम
पर पत्थर तो पत्थर
उन्हो ने वही किया
जो करना था
आस्था को
तोड़ कर, पैठ गये
बहुत गहरे..
पाप और पुण्य
की गठरी भी
डूब गई
पत्थरोँ के साथ..
अभी भी आस है
चाह है उतराने की,
वक्त के पाषाण पटल पर
आस्था की कलम से
लिख दी इबारत
फिर एक बार...
- नवीन मिश्र
(१७ अप्रैल २०१२)
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